नथी रे क्रोधाळी मोगल : रचना :- काळुभा बुधसी

*```काळुभा बुधसी रचीत आई श्री मोगलमां नी रचना```*


          *नथी रे क्रोधाळी मोगल*

       (राग मढडावाळी माताने वंदन अमारा)

Mogaldham


नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..

माता ममताळी मारी भगुडारे वाळी...


अरध साद आपता अे वेगथी रे आवती.

हेताळी छोरु पर सदा हेत वरसावती.

चकली बनीने बाई प्रमाणो पुरनारी .

          नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..


देह अभडावी कोई असत खाद्य चाखतो .

भुली भान मदीराने देह मां अे नाखतो.

पछी प्रेमवाळी अेने लागे विकराळी.

          नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..


करी पाप पछी दोष आईने शुं देवा .

करम रे प्रमाणे भाई पडे दु:ख अेवा .

छतां दु:ख कापी करे क्रिपा रेमवाळी .

           नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..


कुडा काळमां तु भाळ राखजे कृपाळी.

सदा स्नेह दियो अेवी आरदा अमारी.

छोरु *"काळु"* नी लेजो अरजी स्वीकारी .

           नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..


*_रचियता :- काळुभा बुधसी, ढसा_*

               *_Mo. 973-723-2037_*


संदर्भ :- भगुडावाळी भगवती , पुस्तकमांथी लीधेल.


*टाईप :- www.charansahitya.in