द्रौपदीनो कागबापुनी कलम द्वारा श्री कृष्ण ने ठपको


द्रौपदीनो कागबापुनी कलम द्वारा श्री कृष्ण ने ठपको



जादवराय ! आपणे शेनो नातो रे...जी.

तुं व्रजवासी, हुं पांचाली, बेयनी जुदी जुदी जातो-

जादवराय-टेक


"काम पडे त्यारे केजे बेनडी !" कायम के'तो वातो रे जी (२)

वेणलंपट ! तारी वात सुणीने (२), फोगट जीव फुलातो-

जादवराय...


पारधीकेरा पासलामां जेम,मृगली जीव मुंझातो रे जी (२)

साद करुं तोय नथी सांभळतो (२), आज अमारा उतपातो-

जादवराय...


जीव रहे ने आबरु जाय तो, मुडदां रुप मानतो रे जी (२)

लाज रहे तो आ अवनीमां (२), जीव भले वयो जातो-

जादवराय...


सगी बेनडी सुभद्रा नो, वाळ ज वांको थातो रे जी (२)

वेरीना घर पर आदु वाववा (२), काळो मटी थात रातो-

जादवराय...


"काग" कहे कां देवकीजीनो, सभामां चोटलो झोंटतो रे जी (२)

तो शामळीया ! धीरज छोडी (२), ब्रह्मांड भरखी जातो-

जादवराय....





💐 *रचना=चारणकवि पद्मश्री कागबापु* 💐


🙏🏻 *ढाळ=उडी जाओ पंखी पांखुवाळा* 🙏🏻



आ रचना कागवाणी मांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी




टाइपिंग=राम बी गढवी

नविनाळ-कच्छ

फोन=7383523606


वंदे सोनल मातरमं