चिरजां

जय मां करणी

हर ले संकट चारणी, पड्यो जमानूं लार ।
आय न टालौ घात तो, भजनां में के सार।

रसना रट रट के थकी, नैणा राह निहार।
आतुर आज्या डोकरी, हे करनल करतार।

जीवन री इण राह में, मची जबर की जंग।
मत बिसरावै मावड़ी, आय लगाले अंग।

बिरद तिहारो डोकरी, भगत बचाणी लाज।
क्यूँ ना आयी करनला, मम हेले पर आज।

अब तो सुणले मावड़ी, आय उतारो भार।
सारै जग सूं हारकर, प्रांजल करै पुकार।

        प्रह्लाद सिंह कविया प्रांजल
            भवानीपुरा