Jay maa karni

 1. देवी देशाणै बुला, उण ओरण रे मांय।  दही बिलोता डोकरी भगत चराता गाय। 
  2.देवी देशाणै बुला, बैठूं मढ री ओट।  मन में ध्याऊं आपनै, त्याग कपट छल खोट।  
 3.देवी देशाणै बुला, बीकाणै री नाक।  जठै दास तिरिया घणा, दुष्ट हो गया खाक।
 4.देवी देशाणै बुला खास्यूं मीठा बोर।  दर्शण पाकर आपरा नांचैला मन मोर।   
5.देवी देशाणै बुला, बोरडियां री छांव।  उन धरणी माथौ धरूं, (जठै) करणी धरता पांव।  
 6.देवी देशाणै बुला, उण सांचै दरबार।  जय जय करणी कर रिया, सीस झुका नर नार।  
7.देवी देशाणै बुला, थारै थली रै देस।  चरणां चिरजा आपरै करूं चाव सैं पेस।  
 8.देवी देशाणै बुला, लगा अती मत देर।  बेटे रै सिर मावड़ी हाथ नेह सुं फेर।  
 9.देवी देशाणै बुला, मत अरजी नैं टाल।  घट का ताला खोल जो, कट ज्या भव जंजाल।   
10.देवी देशाणै बुला राख आपरै सीर।  मां बेटो मिल जीमस्यां खांड लापसी खीर।  
 11.देवी देशाणै बुला, चरणां टेकूं भाल । दुखड़ा दर्शन पावतां, कट ज्यावै तत्काल।   
12.देवी देशाणै बुला, उगतो देखूं भाण । मां आशीसां देवजे टाबर भोलो जाण ।  
13.देवी देशाणै बुला,उण निज मढ रै मांय।  मन चंचल जिण द्वार पे, दोड्यो दोड्यो जाय।  
14. देवी देशाणै बुला, मचै मनां में होड।  काबा देख गिनायती नांचै कर कर कोड।   
15.देवी देशाणै बुला, मति परायो जाण । जै निजरां सुं त्याग दे, पल में छोडूं प्राण।   
16.देवी देशाणै बुला, मत कर टालमटाल।  थोडों सो भूंडो सही, हूँ तो थारो लाल।  
 17.देवी देशाणै बुला, पड़ै बुलायां पार।  दरस दियां बिन डोकरी छोडूं कोनी लार।   
18.देवी देशाणै बुला, एकर कर दे म्हेर।  पाछै साल गुजार द्यूं, माला थारी फेर।   
19.देवी देशाणै बुला, कर दे बेडा पार।  बिन थारी आशीष के चालै ना घरबार।   
20.देवी देशाणै बुला, धजबन्द थारै द्वार।  जठै जीत बण ज्याय है दुनिया की हर हार।  
 21.देवी देशाणै बुला, खड्यो सीस जमदूत । आय बचालै डोकरी प्रांजल थारो पूत । 
 22.देवी देशाणै बुला, हे करणी करतार।  कै तो कर काबो मनैं कै भव सागर पार।   
23. देवी देशाणै बुला, उण सुरगां सी भौम।  सेवा में तरजन खड़ी, सारी चारण कौम।  
 24. देवी देशाणै बुला, बीस हथी जगदम्ब।  सांची सगती जगत में, डाढी वाली अम्ब।  
 25. देवी देशाणै बुला, समझ हमारी पीर।  दर्शन दीजे साथ ले, काला गोरा बीर।  
 26  देवी देशाणै बुला, देखूं मढ में जौत।  ओल्यूं थारी मावड़ी, आवै म्हानैं भोत ।  
27.देवी देशाणै बुला, तुझ बिन कहाँ विकल्प।  तन रीता धन बच गया, इन सांसों का अल्प। 
 28.देवी देशाणै बुला, जलम्यो थारी जात।  एकर दर्शन डोकरी, दो मुझको साक्षात।   
29.देवी देशाणै बुला, मेट मनां री त्रास।  जाऊं सब दुःख भूल मां , आकर तेरे पास।   
30.देवी देशाणै बुला, मेलो लागै जोर।  जयकारा इण मात रा, गूंजै चारों ओर  
31.देवी देशाणै बुला, कर थोड़ी परवाह।  पल पल मुझको नोंचते, कलुषित जग के ग्राह।  
 32.देवी देशाणै बुला, विनती मेरी मान मुझको भी आशीष दे, हे ममता की खान।  
 33. देवी देशाणै बुला, हे करनल किनियाण।  ओ माटी को पूतलो, खड्यो आपरै पाण 
 34.देवी देशाणै बुला,सबसुं बड़ै मुकाम।  तव चरणां में भगवती, बसते चारों धाम।   
35.देवी देशाणै बुला, हे डाढ्याली मात।  मात बिना कुण जाणसी, टाबर रा जज्बात । 
  36.देवी देशाणै बुला, हारै जठ  जमदूत । आंधा नै आंख्यां मिलै, बांझड़ पावै पूत ।  
37.देवी देशाणै बुला, दे चरणां रो सीर।  करणी दर्शन सुं भवै, मनड़ो मस्त फकीर।  
38.देवी देशाणै बुला, आकर थारै धाम।  करणी करणी ही भजूं, मैं तो आठों याम। 
  39.देवी देशाणै बुला, थोड़ी निजर पसार।  मीठा छंद सुणायस्यूं, बैठ'र मढ रै द्वार।  
40.देवी देशाणै बुला, राख चरण रो दास।  तिरूं चरण रज पाय के, मन में है विश्वास। 
  41.देवी देशाणै बुला, तन रूपी आ रेत।  मन मढ में रम रम हुयो , उजलो घणो सफेत । 
 42.देवी देशाणै बुला, फेरी में महा माय।  कर कर कोड लगाय स्यां, मीठी चिरजा गाय।   
43. देवी देशाणै बुला, और दिखा दे राह  मुझको भी तो तार दे, जैसे तारयो शाह  
 44. देवी देशाणै बुला, मन कै तम ने मेट।  रोग दोष मां काल नैं , कर दीज्यो थे भेंट  
 45. देवी देशाणै बुला, सुण म्हारी आवाज  मेरे सपनो को भी मां, दे दीज्यो परवाज।  
 46.देवी दैशाणे बुला, देकर के आदेश।  उण ऊंचै दरबार में , झट हो ज्याऊं पेश।  
47. देवी देशाणै बुला, सातम वाली रात।  तृप्त हुवैली आत्मा , दर्शन पा साक्षात। 
 48. देवी देशाणै बुला, राख पुत्र रो मान।  मैं भी सुणस्यूं मावड़ी, सगत्यां रो गुणगान।   
49.देवी देशाणै बुला, मति परायो जाण । मैनें बुलातां मावड़ी, क्यूँ आवै तन ताण।   
50.देवी देशाणै बुला, कर कर हारयो टेर।  म्हारी खातिर मावड़ी, करी अती क्यूँ देर  
 51. देवी देशाणै बुला, एकर कर आदेश।  तन मन धन सब मावड़ी, तव चरणां में पेश। 

कवि प्रहलाद कविया प्रांजल