🌷।। श्री सायर शरणम् ।।🌷
 .           ।। दोहा ।।

किनियाणी वन्दन करूं,
नित उठ शीश निवाय।
शरणागत तुझ सायरा,
महर  करो  महमाय ।।

संग रहो सगती सदां,
अम्ब करूं आह्वान।
प्रीत सनातन पाळता,
देवी रख मम ध्यान।।‌

अंग आभुषण ओपता,
चमके दिखणी चीर।
दरस सायर रा देखतां,
प्रबल मिटज्या पीर  ।।
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।। छंद जात सारसी ।।
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मरजाद राखण महपत्ति मां,
दैह नव री धारिया।
शुभ संवत उनिसो छिंयासी महि,
पात सदन पधारिया।
घर रतन रे किलकार गूंजी,
आविया मां अवलम्बा।।
सायर सग्गती दे सुम्मती,
बीसहथी भुजलम्बा।।

चम्म चमाचम चम्मकती हद,
मात चूंदड़ मौहणी।
सम सूर सो मुख तपे सगती, 
सजती सूरत सौहणी।
कानां सजे मां कनक कुण्डल,
पतित पावन प्रलम्बा।।
सायर सग्गती दे सुम्मती,
 बीसहथी भुजलम्बा।।

पगल्यां पायल फूटरी मां,
बिछिया घुघर बाजणा।
मनहरण पहनी मूंदड़ी मां,
लगत सरस लुभावणा।।
सवरूप सौम्य आप सजती,
जगत माता जगदम्बा।
सायर सग्गती दे सुम्मती,
बीसहथी भुजलम्बा ।।

हिरा जड़ित्त मां हार गळ में,
शीश रखड़ी सांतरी।
रंग लाल पीळी नगिन जड़ियां, 
बंया चूड़ियां भांतरी‌।।
सूंदर तिलक मझ भाल सोहे,
ओपतो सायर अम्बा।।
सायर सग्गती दे सुम्मती ,
बीसहथी भुजलम्बा।।

सुत पावण सारु चरण शरणे
मदन आयो मात की।
करजोड़ शरणे करी करुणा,
लाज राखी बात री।
दिधो कुळ दीपक आप देवी,
अरज  सुणत अवलम्बा।।
सायर सग्गती दे सुम्मत्ति ,
बीसहथी भुजलम्बा।जी 
बीसहथी भुजलम्बा।।

काटत सकल संताप कंटक,
साय करती सायरा‌।
अणपार परचा इला ऊपर,
मोटी सगत माय रा।
रटे तोहे रिछपाल रसना,
जगत पालक जगदंबा।
सायर  सग्गती दे सुम्मती,
बीसहथी भुजलम्बा। मां,
बीसहथी भुजलम्बा।।
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रिछपाल सिंह बारहठ रजवाडी़ कृत
       ।। चारणवासी चूरू ।।