छोरुने मात समजावे आवा कोइ चारणो आवे

Chhoru ne maat samjave
Jay maa sonal

छोरुने मात समजावे, आवा कोइ चारणो आवे...(टेक)  धीर-गंभीरा,धारणवंता,पापमां जेना न पाव; (२)
ए...ऊजळा हैयां, वातना वेधु,दिल जेना दरियाव छोरुने मात समजावे...  

वेणमां जेनां फुलडां फोरे,नेणमां ना'वे रोष;(२) 
ए...उधमवंता ने आपदाहिणा,देखे न कोइना दोष छोरुने मात समजावे...  

अक्कल सौना सुखमां आपे,आप रळ्युं जमनार;(२) 
ए...बुद्धी केरा पाशला बांधी,नव खेले शिकार छोरुने मात समजावे...  

अन्नना दाता,जुठपे ताता,गाता रामायणगान;(२) 
ए...पारकी पीडा टाळवा पोते,पाथरी आपे प्राण छोरुने मात समजावे...  

भागती फोजुं भेडवे एवा,थडक्यां आपे थोभ;(२) 
ए...झुंपडे जेने खेलवा राखे,लोबडीयाळी लोभ छोरुने मात समजावे...  

वाणीरुपी मारां दुधडां केरी,झीलजो धोळी धार;(२) 
ए...वरुडी जेवी धिडीयुं,बेटा! इसरना अवतार छोरुने मात समजावे... 

 एकला खाशो तो रोगीआ थाशो,पस्ताशो विण पार;(२) 
ए...जीरव्या कोइथी जाय नहीं,एवा अजीरण ओडकार छोरुने मात समजावे... 

 चारणोने कहे सोनल माता,सहुने वाधो सुख;(२) 
'काग' जाया तमे जगदंबानी,कोइ लजवता न कूख छोरुने मात समजावे... 

   - रचना=चारणकवि पद्मश्री कागबापु. 

आ रचना कागवाणी भाग-७ मांथी लिधेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी

टाइपिंग=राम बी गढवी नविनाळ-कच्छ   फोन=7383523606   वंदे सोनल मातरमं