बात है 17 December 1995 जब एक रशियन बनावट का (AN-26) विमान कराची से ढाका जाने के लिए रवाना होता है, मगर वह विमान वाराणसी में इंदन डलवाने के लिए नीचे उतरता है।
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PURULIA ARMS DROP MYSTERY |
वहां से वह विमान इंदन भरवाने के लिए थाईलैंड निकल जाता है, थाईलैंड से वापस आते हुए जब वह विमान भारतीय वायु सीमा में घुसने की कोशिश करता है, तब भारतीय वायु सेना का MIG-29 विमान उसका पीछा करता है। भारतीय वायुसेना का विमान उस विमान को मुंबई एयरपोर्ट पर उतरने के लिए मजबूर करता है,
मुंबई एयरपोर्ट पर जब उस विमान की जांच होती है तब मालूम पड़ता है कि उस विमान में 7 ही यात्री मौजूद हैं,
उस विमान का आठवां यात्री जिसका नाम किम डेवी था वह यात्री वहां से गायब था।
यह पूरा मामला तब तेजी पकड़ता है जब उस प्लेन का आठवां यात्री किम डेवी डेनमार्क में देखा जाता है, किम डेवी ने बहुत से पत्रकारों को अपना इंटरव्यू दिया था, उन सभी पत्रकारों में एक नाम था भारतीय पत्रकार अर्णब गोस्वामी, अर्णब गोस्वामी को दिए हुए इंटरव्यू में किम डेवी कुछ चौकाने वाली बातों का खुलासा करता है। किम डेवी के मुताबिक पूरा पुरुलिया ऑपरेशन तत्कालीन वक्त की कांग्रेस सरकार के दिए निर्णय अनुसार किया गया था।
तत्कालीन समय की कांग्रेस सरकार पश्चिम बंगाल में दंगा करवा कर पश्चिम बंगाल की कम्युनिस्ट गवर्नमेंट का तख्तापलट करवाना चाहती थी, राजीव गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस सरकार को इस बात का भय सता रहा था कि, कहीं कम्युनिस्ट सरकार पूरे भारत में अपनी सरकार बनाने में सफल ना हो जाए।
जब अर्णब गोस्वामी ने किम डेवी से सवाल किया, कि किस तरह से वह भारत से बाहर निकलने में सफल हुआ, तब किम डेवी ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के एक एमपी पप्पू यादव एवं सीबीआई ऑफिसर जेके दत्त ने भारत से निकलने में किम डेवी की मदद की थी।
भारतीय खुफिया एजेंसी R&W के मुताबिक R&W ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को पूरे पुरुलिया ऑपरेशन के बारे में पहले ही जानकारी दे दी थी, मगर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने R&W की बात को नकार दिया था।
भारत में आर.टी.आई कानून आने के बाद भी कांग्रेस सरकार ने पुरुलिया ऑपरेशन की इंफॉर्मेशन आर.टी.आई को नहीं दी थी। इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी की R&W की चेतावनी के बावजूद हथियारों से भरा विमान कराची से निकलकर भारत में घुसता है और अपना कार्य कुशलता से कर कर भारत से निकल जाता है.
बहुत से विशेषज्ञों का मानना यह है कि संपूर्ण पुरुलिया ऑपरेशन कांग्रेस सरकार के कहने पर किया गया था। मगर आज तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिल पाया है।
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