एने भरोसे रहेवाय जी...
भरोसे रहेवाय, पंडनुं डहापण नो डोळाय ...एने भरोसे...(टेक)

पंड विपत्तीनी वसमी वातुं, भेरुने नो भणाय जी (२)
हेतु होय ए हैया केरां (२), जोखम जाणी जाय.
एने भरोसे रहेवाय...

आचरीये ने अंगे धारीए, जे गुरुजी गाय जी (२)
केम कर्युं ? अने शुं करवा ? एवो संशय मनमां न थाय.
एने भरोसे रहेवाय...

गंगाजळमां शुं छे एवुं, पाप सघळा जाय जी (२)
एम कदीये उर न आणे (२), जे गंगामां ना'य
एने भरोसे रहेवाय...

भील तणा भालाथी वनमां, विठ्ठल केम विंधाय जी ? (२)
बुद्धीथी ए वातो बारी (२), श्रद्धाथी समजाय.
एने भरोसे रहेवाय...

"काग" सघळा रोग नासे, कीधुं एम खवाय जी (२)
वैध घरनां वाटेलां ते (२), ओसड केम ओळखाय ?
एने भरोसे रहेवाय...


💐 *रचना = चारणकवि पद्मश्री काग बापु* 💐


🙏🏻 *ढाळ = कर मन भजननो वेपार* 🙏🏻


🙏🏻 *आ रचना कागवाणी भाग-३ मांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी* 🙏🏻


🌹 *टाइपिंग = राम बी गढवी* 🌹
*नविनाळ-कच्छ*
*फोन = 7383523606*



💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐