देपावत कुल उजला में ,जन्मी सुता में थारी
तेमडा राय कुलदेवी,पायी करणी मां महतारी
दैशाणो धरा रो आंगणियो,वेकुठां ने शरमावे
पावन भौम में पली बढी, भाग घणा सरावे
गोद्यां खेली मेहाई रे,माथे अटल छत्र रो हाथ
लोवडी लपटयी दोन्यु मांवां,तेमड करणी साथ
नंदनवन भी लागे फिको,हरिये औरण रे आगे
सावणिये में सुंदर मरूधर देख देख दुख भागे
नाडा ठाडा भरीया जल सुं,आला टीबा घणा सरुप
घर घरोंदा बणा रेत में,आनंद छायो मनडे खुब
नाचे मोर,गावे कोयल,मृग करे अठखेलियाँ
देखन सारू संग मे जाती हिलमिल सभी सहेलियाँ
औरणिये मे मोथियां री गजब लगे हे घास
खावण में अतिमधुर,दिखण में घणी है खास
आश्विन नवराता माही,खिचड़ी बोरडियां छायी
चुंट चुंट रे झोला भरीया, खुब स्वाद सु खायी
खिचड़ी पककर बण गी मीठा मीठा बोर
रस भरीयोडे बोरां खातर,घणी लगायी दौड
सातम चवदस जीमण रा,बुलावा मान मनवार सुं
बनी सवासणि थारी मां तो सब बुलाई प्यार सुं
सर्दी गर्मी पावस, बारहो ही महीना मौज ही
खेलो खावो दर्शन पावो,दिनचर्या आ रौज ही
कालगति रूके नहीं समय बडो बलवान,
छोटी उं कद बडी हुई, पड्यो न काई भान
कान सुणी कि युगां युगां सुं चलती आई रीत
बेटी है परायो धन, अब दो बेटी ने सीख
चरणा धोक्या दोनुं मावां ने,दी गठजोड री जात
मांग सिंदूर सज्यो राखजो,मांग्यो अमर सुहाग
मढ दैशाणे सामने जोड खडी में हाथ
संग मे चालो मावडी,आवड करणी साथ
जीव घणो दुख पायो जद छुट्यो दैशाणो दरबार
काजल बह गयो आंखियां रो,पग पडे ना औरण बार
थारी औरण री चिडकली उड चली आकाश
पाछी बेग बुलावजो, मात यही अरदास
दैशाणे सो सुख कठे,कठे है औरण प्यारी प्यारी
मढ सो सुंदर भवन कठे,कठे हे करणी सी महतारी
जरी गोटा री चुनरी दी है आप ओढाय
हरी भरी युं ही राखजे, मेहाई म्हारी माय
बेटीयां पोतियां दोहितियां मात करे अरदास
जन्मो जन्म मावडी चरणां दिजो वास
लुसी सिहढायच🙏🏻🙏🏻
Post by - samra gadhvi
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