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The Untold Story Of "SARDAR POST" |
इतिहास में दर्ज कुछ घटनाएं ना सिर्फ अचंभित करती है बल्कि प्रेरणा पुंज बनकर आने वाली पीढ़ियों को एक नई दिशा प्रदान करती है।
"सरदार पोस्ट" रण ऑफ कच्छ में घटी एक ऐसी ही घटना है, जिसने हिंदुस्तान के युद्ध इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। यह घटना सीआरपीएफ की एक टुकड़ी की वीरता एवं वतन पर मर मिटने की वतन परस्ती की है। जिसने एक पूरी पाकिस्तानी ब्रिगेड को पीछे हट करने पर मजबूर कर दिया था। गुजरात के रन ऑफ कच्छ में पाकिस्तान में घुसपैठ करने के इरादे से कंजर कोर्ट मॉर्निंग में अपनी पोस्ट स्थापित करदि थी। पाकिस्तानी सेना और आगे ना बढ़ सके इसलिए भारतीय सेना ने कंजर कोर्ट और लिंग से करीब 100 गज की दूरी पर सरदार पोस्ट और डाक पोस्ट स्थापित की थी। दोनों पोस्ट की रखवाली का जिम्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को सौंपा गया था।
9 अप्रैल 1965 सुबह करीब 3:30 बजे, पाकिस्तान की एक पूरी ब्रिगेड ने सरदार पोस्ट की ओर कूच कर दी थी, आगे बढ़ती हुई पाकिस्तानी सेना को कवरिंग दे रही थी 25 बोंडर तोपे, जिन का इरादा था सरदार और डाक पोस्ट पर कब्जा करने का। आने वाले खतरे से अनजान सरदार पोस्ट पर तैनात हवलदार रंजीत सिंह ने करीब 100 गज की दूरी पर कुछ हलचल देखी, जब रंजीत सिंह ने सामने आवाज लगाई तो उनको जवाब मिला मशीन गन की फायरिंग से,
युद्ध छिड़ चुका था, पूरी कंपनी पोस्ट सतर्क हो गई, मोर्चे संभाल लिए गए, और आगे बढ़ती पाकिस्तानी फौज का बहादुरी से मुकाबला किया गया, सूबेदार बलवीर सिंह मोर्चा संभालते हुए अपने 3 इंच मोटार गन से दुश्मन की मोटार को नेस्तनाबूद कर दिया,
कम हथियार होने के चलते पूरी पाकिस्तानी ब्रिगेड को आगे बढ़ने से रोकना मुश्किल था, इसलिए पाकिस्तानी ब्रिगेड को हराने के लिए एक योजना बनाई गई, एक ऐसी योजना जिसने इस युद्ध की दिशा ही बदल दी। सरदार पोस्ट से फायरिंग रोक दी गई खारे रेगिस्तान में मौत का सन्नाटा छा गया, फायरिंग बंद होने के कारण पाकिस्तानी ब्रिगेड इस बहकावे में आ गई कि भारतीय सेना के सभी जवान मारे जा चुके हैं, और इस वजह से पाकिस्तानी ब्रिगेड बेखौफ होकर सरदार पोस्ट की ओर बढ़ने लगी, भारतीय सैनिकों ने जैसे ही देखा कि पाकिस्तानी ब्रिगेड उनकी फायरिंग रेंज में आ चुकी है, तभी भारतीय सेना ने मशीन गन से पाकिस्तानी ब्रिगेड पर हमला करना शुरू कर दिया,
इस अचानक हुए हमले के कारण, पूरी पाकिस्तानी ब्रिगेड तितर-बितर हो गई, और वह वापस भागने लगी, भारतीय सेना ने 4 पाकिस्तानी सैनिकों को जिंदा पकड़ा था, और रेगिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों की 34 लासे भारतीय सेना के शौर्य का परिचय दे रही थी,
इस तरह सीआरपीएफ के चंद जवानों के शौर्य ने पूरी पाकिस्तानी ब्रिगेड को जब तक भारतीय सैन्य की अन्य टुकड़िया उनकी सहायता के लिए सरदार पोस्ट पर न पहुंची तब तक पाकिस्तानी ब्रिगेड को सरदार पोस्ट के नजदीक भी नहीं आने दिया।
भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता के प्रतीक के रूप में पूरा भारत 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के तौर पर मनाता है।
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