💐 *आ गीत संबंधे सांभळवामां आवेल छे के, स्त्रीने प्रसुति समये बाळकनो प्रसव न थतो होय तो, गमे ते एक माणसे स्नान करी, शुद्ध वस्त्र पहेरी, एक पात्रमां चोखुं पाणी ल‌इ, श्री विष्णु भगवान नु स्मरण करी आ गीत बोलवुं. पछी ते पात्रनुं पाणी आपवुं. ते पाणी पिडाती बाइने पावाथी तरत बाळकनो प्रसव थाय छे. अमे खातरी करता सिद्ध थयुं छे...-- ली. शंकरदान कवि (लींबडी कविराज श्री शंकरदान जेठीदान देथा)* 💐


कांइ नहोता पवन्न पाणी, जळां थळां अहंकार
वेद वाणी मंत्र जंत्र, नहोता विवेक
धर्म कर्म चंद्र सूर, नहोता आकाश धरा
या अल्ला इल्लला अल्ला, हुता आपें एक (१)

बुद्धी थकी करतार, शकत्ति निपाइ बीजी
रिद्धी-सिद्धी नवे निद्धि, दिना रंग रुप
स्वारथी बण्या नां प्रभु, प्रमारथी बण्या शाम
सूजे नाहीं दूजो कोइ, जोवंता सरुप (२)

त्रिगुणी चलाइ माया, खूंटही बणाया तीन
एवा तीन लोक मांही, तुंहारो आधार
भ्रम्मा विष्णुने माहेशरा, इश तम भारे
तीन तीन तीन देव, किया करतार (३)

भ्रम्मा तणी करी भेर, धरी माथे दु:ख भांग्यु
तत्तकाळ श्रीहरि, थया तमे तैयार
मच्छारुप धरी करी, फरी फरी जोयुं महा
शंखवाने रोळी करी, वेद वाळ्या चार (४)

ध्रुपतिनी लजा राखी, वाजमां अनंत धाया
चोखा भार डूबी नाहीं, कौरवारी चांच
पांचे पांडवोना तमे, खरेखरा बोल पाळ्या
पंचाळीना चीर पुर्यां, दुवा हुवा पांच (५)

चोरासीनी वाट घाट, तारुं नाम लीधे छूटे
भज्जवाथी मटी जाय, जम्मराणा भोय
छोय जती कीधा प्रभु, खट्ट रस तणो स्वाद
चोधारा तुहारा खेल, प्रतिपाळां छोय (६)

सातही बनाया सत्ति, स्वरगंगा ठेराया सात
निगम्म तुंहारी वात, एरसी नघात
सात वार सात द्विप, प्रभु तमे कीधा सार
शामळा सफेर कीधा, सांयरा ते सात (७)

जु‌‌जवा स्वरग्ग अने, नर नारी करी जुवो
ठीका ठीक बांधीया हे, जगत्तका ठाठ
आठ पोर तुंही जपे, आठ वसु सिध्धि आठ
आठ कुळ परबत्ता तीर्थ साठ आठ (८)

नव खंड नव ग्रह , नव तें निपावी निधी
शेष नाग लोक तणी, कीधी नव साख
नंद बावा तणा घरे, खेल कीधा नवा नवा
लघुवेषे चारी तमे, धेनुं नव लाख (९)

दशरथ्थ तणा जाया, रामचंद्र हुवा डाया
जुगोजुग अखियातां, वधारियां जश
लीधी सार विभीषणा, दीधी लंक भलीभात
दुशमन्ना रावणारां, माथा काप्या दश (१०)

अगियार क्रोड प्रभु, मानवीने प्रथी आपी
चल्ले हल्ले क्रोड , अगियारमां संसार
तीथि अगियारसनुं, मातम वधार्युं तमे
इशरा प्रमेश कीधा, रुद्र अगियार (११)

बहारवो मन तणो, मटाडीये दिनबन्धु 
धनुषरा धारी दया, करो सार धार
बार मनु बार राशी, बार ते बणाइ बीज
बराबरी मेघ नाम, कीधा तमे बार (१२)

तेरा नाम एवा प्रभु, जळमां पथ्थरा तरे
मांड्यो धरा बीच थंभ, तेरे हाथ मेर
टेर टेर नाम प्रभु, गुणीका ओधारी तमे
तमे तमे तमे कीधा, तलक्कियां तेर (१३)

मेरुनो रवायो कीधो, नागना नेतरां मावा
केतरा दाणवां देव, करे कुदा कुद
चौद लोक तणा नाथ, ऊदधी वलोइ सोधी
शामळा रतन्न लीधां, ते समे च‌उद (१४)

धरी धरी टेक मुनी, ज्ञान ध्यान धरी धरी
हरि हरि हरि भजे, तजीने हुन्नर 
अरी अरी अरी केइ, दहींता संहार्या आगें
पुरी तिथी बराबरी, कीधी तें पनर (१५)

करी तमे झळोमळ, चंद्रमाने सोळ कळा
सोळही निपाया मेवा, हुवा चक्क चोळ
रुक्कमणी राधाजीने, दिया ते अथाह रुप
शणगार लूंबे झूंबे, बणाविया सोळ (१६)

बाजी खोटी सात दश, तणी बणी जाणी बधी
मणी मणी मणी सोधो, ओऊंकार मंत्र
मंत्र भणी भणी भंजी, नाखो विश्व घाट मोटो
सोधे छत्रपत्ती, फेलकार किया छत्र (१७)

केविया अढार क्रोड राखसां संहार कीधा
धरा आभ बीच कीधा, पोलरा अढार 
अढार पुराण त्युं, कुराण चार वेद एवा
अढार वरन्न कीधा, वन्नरा अढार (१८)

ओगणी अनंत प्राण, शामळा रे शर्ण आया
वामनने हाथ प्रभु, लाकडी वधार
ओगणी अनंत भक्त, तारियां तें प्रभु आगे
ओ गणेश ओ गणेश, तुहारो आधार (१९)

वीश दुहा तणो गीत, बांधीयो संसार विषे
वीसरुं ना घडी एक, तुहारो विशास 
विसवासें नमो नमो, दया करो विठलाजी
दीनरा दयाळ अर्ज, करे "इशर" दास (२०)


💐 *छंद कर्ता = चारण महात्मा भक्तवर श्री इशरदासजी बारहठ* 💐

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