कच्छ मुलकजा माडु मुंके, वधु लगेंता वला
वधु लगेंता वला, अइं भले कना पण भला
कच्छ वतनजा वासी मुंके वधु लगेंता वला...

सरल समजु ने शूरवीर सचा, चोखा चत्त ने चला
आशा करेने अचे उनीजा, ठां न वारीं ठला
कच्छ मुलकजा माडु...

भरत भरे कोय शस्त्र भनाय प्यो,मटी मजां माटला
कडिया कम कोय करे सुथारी क‌इक वताइं कला
कच्छ मुलकजा माडु...

खीर खचडीने मखण मानी भोजन ख्येंता भला
तेवार अचे तेर तरेगनेंता, चोखे घे में चला
कच्छ मुलकजा माडु...

प्रभु असानो पर्या रखजा,बायर देशजी बला
हिंदु-मुस्लीम हली-मली "आल" इश्वर भजे कोय अल्ला
कच्छ मुलकजा माडु...



💐 *रचना=चारणकवि आल* 💐
*शेखडीया-कच्छ*


👏🏻 *आ रचना चारणकवि आलाभाइ नी किरतार कविता कुटीर नामनी बुकमांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी* 👏🏻



🌹 *टाइपिंग=राम बी गढवी* 🌹
*नविनाळ=कच्छ*
*फोन=7383523606*



💐 *कच्छी नववर्षनी आप सौने हार्दिक शुभकामनाओ* 💐
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💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐