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रचना-राजेन्द्र दान वीठू(,कवि राजन)झणकली

हो मैया बिना कोन उवारे मोय
समरे नित जो सात सुखों में सोय
हो मैया बिन,,,,,,1
मैया मेरी है घणी उपकारी
करणी करणीे जो कोई पुकारी
नाम लेते ही संकट निपटारी
सदा ही देती सुख संपती वसोय
मैया बिना कोन उवारे मोय,,,,,1
माँ महतारी अर असुर संहारी
दुख दाळद सब करे दूर दुलारी
पावन पूजा कर जो जन पुकारी
देवे ओ खुशियां भर कर कर दोय
मैया बिना कोन उवारे मोय,,,,,2
करे पुकार ओर करो नित कामा
जगती जोत रहे नित आठो जामा
धजबन्द रे दर्शन जावो जद धामा
 करती सफल मनोकाम हर कोय
मैया बिना कोन उवारे मोय,,,,,,,3
धन धन धरणी पर जो जन ध्यावे
अबखी उवारण माँ तूँ हीआवे
गुण राजन थारा नित नित गावे
करुणामय नाम कहे हर कोय
मैया बिना कोन उवारे मोय,,,,,4
(कवि राजन झणकली)