छेवटे राजा नंदनु नाणुं,जोखमाणुं जळमाय

कबरुं खोदीने दोकळा काढ्या,मुडदांना मुखमाय 

छेवटे राजा....

Kavi kaag


सोनला लीधा ने रुपला लीधा,त्रांबीये कीधो त्राय (२)

दमडो रहेवा एक न दिधो,रैयतना घरमांय

छेवटे राजा....


चामडां चूंथ्यां ने मांस वलाेव्या,उठी घरोघर होय (२)

लोही निचोव्या ने हाडका होम्यां,तृप्ति तोय न थाय

छेवटे राजा....


दमडे देवा सांढीया दोर्या,नाणुं कोना घरमांय..?(२)

नीकळे नाणुं जेना घरमांथी,एने शूळीनी सजा थाय

छेवटे राजा....


हरणी केरी हाडकी गोती,सायर मां जवाय (२)

एने भरोसे दरीये दोरी,लक्ष्मी ना लुंटाय

छेवटे राजा....


राणीये रांधीने खंतथी खाधी,आप उठ्यो अकळाइ (२)

'हाय' पुकारीने प्राण हाल्यो गयो,"काग" जुवो कठणाइ

छेवटे राजा....




💐 *रचना=चारणकवि पद्मश्री कागबापु* 💐





🌹 *टाइपिंग=राम बी.गढवी* 🌹

*नविनाळ=कच्छ*

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🙏🏻 *कागवाणी भाग=3 मांथी लीधेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी* 🙏🏻




💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐