• मैं देवी पुत्र कवि,ज्ञान की छविकलम का वारण हूँ, मैं चारण हूँ | 
  • मैं देवी पग का दास,दिव्य नर खासशारदे धारण हूँ मैं चारण हूँ |
  •  मैं तलवारों की धार,शब्द की मारकायरता मारण हूँ, मैं चारण हूँ |
  •  मैं वेदों का शब्द,काव्य प्रारब्धजङता सँहारण हूँ, मैं चारण हूँ | 
  • मैं इतिहासों का शाख्य,राज चाणक्यनीति निर्धारण हूँ, मैं चारण हूँ | 
  • मैं कन्या पूजित वर्ण,विध्व परिपूर्णपवित्र अवधारण हूँ, मैं चारण हूँ | 
  • मैं आदिमता का सँगी,आधुनिक श्रंगीप्रगति सँचारण हूँ, मैं चारण हूँ ।
  •  मैं प्रखर वाणी प्रवीण,लोलुपता क्षीणस्वच्छंद उच्चारण हूँ, मैं चारण हूँ |
  •  मैं सत्याग्रह का जनक,सत्य का फलककृत्य असाधारण हूँ, मैं चारण हूँ |  
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  • -कवि वरूण सिंह बाड़ी