काळी वादलडी तुंने विनवे रे बे घडीक 

जाय छे मारी साहेलीनो साथ रे बे घडीक (१)


बार बार महिने पाछां आवशुं रे बे घडीक 

करी लेने बे घडी टहुकार रे बे घडीक (२)


बोलावुं तोय नथी बोलतो रे बे घडीक 

भलो थईने अबोला तु भांग रे बे घडीक (३)


सुणी वादलडी केरी विनती रे रंगभर नाचे छे रंग मोरलो

मनाणो कळायेल मोर रे रंगभर नाचे छे रंग मोरलो (४)


आभे ढोलीडा धडुकीआ रे रंगभर 

त्रिभुवन झीले ऐनो ताल रे रंगभर (५)


नाचे वनरा नाचे डुंगरा रे रंगभर

नाचे छे नदीयुंनां नीर रे रंगभर (६)


ढेलडीउ तो ढुंगे वळे रे रंगभर 

 भुली ग्यो दुनिया केरुं भान रे रंगभर (७)


*काग* जीवो झाझुं मोरलो रे रंगभर  

कळायेल सुष्टिनो शणगार रे रंगभर (८)


*चारण कवि श्री दुला भाया काग*

*भगत बापु*


टाईपीग भुल होय तो सुधारी ने वासवु


टाईपीग *भरतभा गढवी*

मो 9909447120