💐 *कच्छना कवी श्री श्यााम भाइ नी अदभुत रचना* 💐




चारण सोनल समरे एनी,थाके नईं जीभडीयुं.....

खाटी हती एने मीठी,कीधी माडी अंतर नी आंबलीयु......,


सुं छे चारण एनु कारण,तारण ते बतावियुं.......२

मेल काढी माथा नु,ते पेरावी पाघडीयुं.....

चारण सोनल समरे.....


भेळीयो ओढी भावथी, आइ घूमी'ती गामडीयुं....२

बुध्धी रुपी बारणा,आइ ते आवी ने उघाडीयुं....

चारण सोनल समरे.....


चवो, चोराडो, नरो, तुंबेल, तारा मुड नी छे डाळीयुं....२

हवे पडसे नइं कोइ पापे,भले वाये वेग थी वंटोळीयुं

चारण सोनल समरे.....


"श्याम" छोरु सोनल माडी, हवे मटी गइ मांगणीयु......२

सबड छीये सोनल थी, आछे सौनी सादडीयु....


चारण सोनल समरे एनी, थाके नइं जीभडीयुं.....

खाटी हती एने मीठी,कीधी मारी अंतर नी आंबलीयुं......



💐 *रचना=श्री श्यामभाइ गढवी* 💐

*मोटा करोडीया-कच्छ*




🌹 *टाइपिंग=राम बी गढवी* 🌹

*नवीनाल-कच्छ*

*फोन=7383523606*



🙏🏻🙏🏻 *भुलचुक सुधारीने वांचवी* 🙏🏻🙏🏻



💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐