🌹 *नंदबावा ने नेसमां कृष्ण जन्म नो उत्सव निमीत्तेजाणे कागबापु पोते त्यां उभा रहीने आखो नजारो जोता होय अने नंदराणी ने केता होय के "हे मां तारा आ केटला जनमनी कमाणी छे "...*
*एवो कागबापुना कलमे टंकायेलो अति सुदर भाव ....* 🌹
माडी ! तारा केटला जनमनी कमाणी रे ?
- नंदराणी ! तारा आंगणां रे जी...जी
मुरारी कहे छे मुखथी माजी...
तारा हुकमे भणे छे हाजी हाजी...
बापु बधानो तारो बेटो रे...
माताजी ! तारा मांगणां रे जी...
उभेली अजाणी नारी, लखमी लोभाणी...(२)
एने प्रीतेथी भरवां छे तारा पाणी रे.... माताजी ! तारा...
करमां लइने कुलडी ने, उभी इंन्द्राणी...(२)
भीख छाशुंनी मांगे छे ब्रह्माणी रे.... माताजी ! तारा....
जेनी मोह बंधणमां, आखी दुनिया वींटाणी (२)
एनी देयुं तारे दोरडीये बंधाणी रे....माताजी ! तारा...
बेठी जुगजुग माडी !, चोपडा तुं बाधी (२)
आज तारी बधी पतीगइ उघराणी रे...माताजी ! तारा...
"काग" फळीयामां तारा, रमे अडवाणो (२)
तारे पगथीये सरज्यो नईं हुं एक पाणो रे... माताजी तारा...
💐 *रचना --- चारण कवी पद्मश्री दुला भाया काग बापु* 💐
🌹 *टाइपिंग --- राम बी गढवी* 🌹
*नविनाळ कच्छ*
*फोन नं. --- 7383523606*
👏🏻 *आ रचना कागवाणीमांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी* 👏🏻
*पोस्ट बाय -- चारण साहित्य
💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐
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