*घायल थइने अंत घडीमां रावण पड्यो छे. ए वखते रामचंद्र जी लक्ष्मणने कहे छे के, "जाओ ! रावण पासेथी थोडी राजनीति जाणी आवो. राजवहेवारमां ए अति प्रविण छे".*
लखमण ! राजनीति नी वात जी
राजनीतिनी वात सुणो तमे, राघव केरा भ्रात ! लखमण ! (टेक)
जानकी हरता जाणी लीधी में, मारा घरनी घात जी (२)
विभीषणने काढी मेल्यो (२), प्रहारी पद घात - लखमण ! --१.
हरिने मळवा जीव हजारो-जनम गोथां खात जी (२)
सीताजी ने चोरु नहीं तो (२), प्रभुना पगलां न थात -लखमण ! --२.
जीव लीधो एनुं दु:ख न जरीए, जो लंका लइ जात जी (२)
तो तो मारा आतमाने (२), मूए मुक्ति न थात - लखमण ! --३
मारा मरण विण मारा घरमां, प्रभुथी पग न भरात जी (२)
राम जीवता वैकुंठ जाव छुं (२) मारे रुदिए थइ निरांत -लखमण ! --४
"काग" बनत तमे लंकापति तो, मारे पाछो आंटो थात जी (२)
मारे तखते माडी जायो (२), तपे विभीषण भ्रात - लखमण ! --५
💐 *रचना = चारणकवि पद्मश्री कागबापु* 👏🏻
👏🏻 *आ रचना कागवाणी भाग--४ मांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी* 👏🏻
🌹 *टाइपिंग = राम बी गढवी* 🌹
*नवीनाळ-कच्छ*
*फोन =7383523606*
💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐
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