एक रंगो नहीं रंग पलटी ने आव
 तने मानव घड्यो छे जरा हटी ने आव 

 अरे शेर मां शेर, अने पाशेर मा पाशेर?
 सरखो जोखामा कां वधी कां घटी ने आव
 तने मानव घड्यो छे जरा हटीने आव

  चीलामा ने चीलामा तो निर्जीव चाले
 तुं चेतक घड्यो छे आडो फंटीने आव  
तने मानव घड्यो छे जरा हटीने आव 

 कोकनी मशाल लइने तुं दोडमा कोक 
अंधारे खुणे दिवो प्रगटी ने आव 
 तने मानव घड्यो छे जरा हटीने आव 

 मेंतो कीडीने चलावी छे विश्वास राखजे
 थंभ धखतो नथी एने लपटीने आव
 तने माणस घड्ये छे जरा हटीने आव

  वखाण सुणी-सुणी हवे थाकी गयो छुं 
मारो वालो करुं जराक वढीने आव
 तने मानव घड्यो छे जरा हटीने आव 

 हे सीधा बोला थोडुं अवडुय बोल  
मने गमसे 'मरा मरा' रटी रटीने आव
 तने मानव घड्यो छे जरा हटीने आव 

 मोती चोकमा छे छुपाव्युं नथी
  "दाद" साचो होयतो साच वाटीने आव
 तने मानव घड्यो छे जरा हटीने आव   

💐 *रचना --- चारण कवि श्री दादबापु* 💐   🌷
 *टाइपिंग --- राम बी. गढवी* 🌷 *नविनाळ-कच्छ* *फोन. -- 7383523606*    👏🏼
 *आ रचना दादबापुना ओडीयोमांथी टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी*  👏🏼   💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐